दिल्ली के पास 10 Best & Hidden Hill Stations
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- 1 दिल्ली के पास 10 Best & Hidden Hill Stations
जैसा की सब जानते हैं, बच्चों की गर्मी की छुट्टियां बस आने ही वाली हैं और साथ में आएगी भीष्ण गर्मी। और दिल्ली की गर्मी का तो कहना ही क्या क्योंकि मई-जून के महीने में तो तापमान इतना ज्यादा हो जाता है की कूलर और AC भी राहत नहीं पहुंचा पाते।अब ऐसे में हर व्यक्ति चाहता है की कुछ दिन समय निकलकर दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी से दूर कहीं बाहर घूम आये मगर समझ नहीं आता की कहाँ पर जाया जाये!!!
अगर आप भी इन SUMMER VACATIONS में दिल्ली की भागदौड़ और गर्मी से निजात पाने के लिए कहीं घूमने जाना चाहते हैं तो हम आपके साथ इस ब्लॉग के जरिये कुछ ऐसे पर्वतीय क्षेत्रों की बात करेंगे जो आपकी यात्रा को सुखद और यादगार बना देंगे।
वैसे तो शोरगुल और गर्मी, ये दोनों ही दिल्ली के पर्यायवाची हैं लेकिन दिल्ली निवासियों के पास एक फायदा यह भी है की बहुत से शांत और रमणीक पर्वतीय स्थल, दिल्ली से मात्र कुछ घंटों की दूरी पर ही स्थित हैं। इनमे मुख्य HILL STATIONS , हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में हैं और दिल्ली से लगभग 250-500 K.M. की दूरी पर ही मौजूद हैं। और आज हम इस लेख में उन्ही HILL STATIONS की चर्चा करेंगे, तो आइये शुरू करते हैं:
हिमाचल प्रदेश
हरियाणा और पंजाब के साथ सटा हुआ यह राज्य, अपने सुन्दर और शांत वातावरण के लिए विश्व प्रसिद्ध है। पूरे भारत के साथ साथ, विदेशों से भी लोग हिमाचल प्रदेश घूमने आते हैं और यहाँ की खूबसूरती को देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। वैसे तो हिमाचल में इतने सारे HILL STATIONS हैं की सबको एक लेख में लिखना, पाठकों को दुविधा में डाल सकता है; ऐसे में हम यहाँ सिर्फ उन जगहों की बात करेंगे जो शांत, शीतल और रमणीक होने के साथ साथ दिल्ली के पास भी हैं और छुपी हुई होने के कारण भीड़ भाड़ भी काम हैं।
1) बीर-बिलिंग:PARAGLIDING CAPITAL OF INDIA
हिमाचल प्रदेश की काँगड़ा घाटी में बसा हुआ यह छोटा सा गाँव, रोमांच प्रेमियों के लिए एक उत्सव स्थल है। पूरे विश्व भर से Adventure Lovers , यहाँ के शांति और हरे भरे माहौल में पैराग्लाइडिंग का विशष अनुभव लेने के लिए आते रहते हैं। बिलिंग गांव जो है वो पैराग्लाइडिंग के लिए आरंभिक स्थल है और बीर गाँव में पैराग्लाइडिंग समाप्त हो जाती है और ये दोनों मिलकर,बीर-बिलिंग कहलाते हैं।
प्रमुख आकर्षण
पैराग्लाइडिंग, बौद्ध विहार, बौद्ध स्तूप
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग: अपनी गाडी के द्वारा आप यहाँ लगभग 10 घंटे में पहुँच सकते हैं। दिल्ली से बीर बिलिंग के लिए बहुत सी AC/NON AC बसें भी चलती हैं जिनको आप अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते हैं।
रेल मार्ग: पठानकोट स्टेशन यहाँ का सबसे नजदीकी स्टेशन है और यहाँ से लगभग 140 कम दूर है। दिल्ली से पठानकोट के लिए रोज़ाना कई सारी ट्रेन चलती हैं। पठानकोट से आप बस या टैक्सी द्वारा बीर बिलिंग आ सकते हैं।
वायु मार्ग: काँगड़ा एयरपोर्ट यहाँ से मात्र 65 K.M की दूरी पर है और यहाँ से आप बस या टैक्सी द्वारा बीर बिलिंग आ सकते हैं।
2) धर्मशाला
हिमालय पर्वत की धौलाधार रेंज के बीच बसा धर्मशाला, एक शांत और रमणीक क़स्बा है जो काँगड़ा से लगभग 18 कम की दूरी पर स्थित है। धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश के लिए शीतकालीन राजधानी का भी काम करता है।
प्रमुख आकर्षण
क्रिकेट स्टेडियम, थांगका पेंटिंग्स, सेंट जॉन चर्च
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग: अपनी गाडी के द्वारा आप यहाँ लगभग 10 घंटे में पहुँच सकते हैं। दिल्ली से धर्मशाला के लिए बहुत सी AC/NON AC बसें भी चलती हैं जिनको आप अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते हैं।
रेल मार्ग: ऊना और अम्ब स्टेशन यहाँ के सबसे नजदीकी स्टेशन है और यहाँ से लगभग 70-80 K.M दूर है। दिल्ली से ऊना के लिए रोज़ाना कई सारी ट्रेन चलती हैं। यहाँ से आप बस या टैक्सी द्वारा धर्मशाला आ सकते हैं।
वायु मार्ग: काँगड़ा एयरपोर्ट यहाँ से मात्र 18 K.M की दूरी पर है और यहाँ से आप टैक्सी द्वारा धर्मशाला आ सकते हैं।
3) मक्लिओडगंज
हिमाचल के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक मक्लिओडगंज – अपनी तिब्बती संस्कृति, प्राकृतिक हरियाली, ट्रैकिंग, प्राचीन मंदिर और ब्रिटिश प्रभाव के लिए मशहूर है। मक्लिओडगंज को “Little Lhasa” के नाम से भी जाना जाता है।
प्रमुख आकर्षण
तिब्बती म्यूजियम, कालचक्र मंदिर, दलाई लामा मंदिर, बह्ग्सु नाग झरना
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग: अपनी गाडी के द्वारा आप यहाँ लगभग 10 घंटे में पहुँच सकते हैं। दिल्ली से Mcleodganj के लिए बहुत सी AC/NON AC बसें भी चलती हैं जिनको आप अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते हैं।
रेल मार्ग: पठानकोट स्टेशन यहाँ का सबसे नजदीकी स्टेशन है और यहाँ से लगभग 80 K.M दूर है। दिल्ली से पठानकोट के लिए रोज़ाना कई सारी ट्रेन चलती हैं। पठानकोट से आप बस या टैक्सी द्वारा यहाँ आ सकते हैं।
वायु मार्ग: गग्गल एयरपोर्ट यहाँ से मात्र 22 K.M की दूरी पर है और यहाँ से आप टैक्सी द्वारा Mcleodganj आ सकते हैं।
4) पालमपुर :Tea Capital Of North India
चाय के आकर्षक हरे-भरे बागानों और चीड़-देवदार के शांत घने जंगलों के बीच बसा हुआ पालमपुर, उत्तरी भारत की “चाय-राजधानी” के रूप में भी मशहूर है और अपने सुन्दर hilly treks के लिए पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है।
प्रमुख आकर्षण
सौरभ वन विहार, चाय बागान, नेहुल खड्ड
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग: अपनी गाडी के द्वारा आप यहाँ लगभग 10 घंटे में पहुँच सकते हैं। दिल्ली से पालमपुर के लिए बहुत सी AC/NON AC बसें भी चलती हैं जिनको आप अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते हैं।
रेल मार्ग: पठानकोट स्टेशन यहाँ का सबसे नजदीकी स्टेशन है और यहाँ से लगभग 110 K.M दूर है। दिल्ली से पठानकोट के लिए रोज़ाना कई सारी ट्रेन चलती हैं। पठानकोट से आप बस या टैक्सी द्वारा यहाँ आ सकते हैं।
वायु मार्ग: गग्गल एयरपोर्ट यहाँ से मात्र 40 K.M की दूरी पर है और यहाँ से आप टैक्सी द्वारा पालमपुर आ सकते हैं।
5) जोगिन्दर नगर
काँगड़ा घाटी में स्थित जोगिन्दर नगर, शांत और आरामदायक छुट्टिओं के लिए पर्यटकों पहली पसंद है। इसके अलावा अगर आप चाहें तो ट्रैकिंग, स्थानीय बाजार और प्राचीन मंदिरों में भी दर्शन का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
प्रमुख आकर्षण
जोगिन्दर नगर घाटी, कमलगढ़ किला
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग: अपनी गाडी के द्वारा आप यहाँ लगभग 10 घंटे में पहुँच सकते हैं। दिल्ली से जोगिन्दर नगर के लिए बहुत सी AC/NON AC बसें भी चलती हैं जिनको आप अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते हैं।
रेल मार्ग: पठानकोट स्टेशन यहाँ का सबसे नजदीकी स्टेशन है और यहाँ से लगभग 145 K.M दूर है। दिल्ली से पठानकोट के लिए रोज़ाना कई सारी ट्रेन चलती हैं। पठानकोट से आप बस या टैक्सी द्वारा यहाँ आ सकते हैं।
इसकेअलावा एक छोटी ट्रैन भी पठानकोट से जोगिन्दर नगर जाती है जिसकी जानकारी आप रेलवे विभाग से ले सकते है।
वायु मार्ग: गग्गल एयरपोर्ट यहाँ से मात्र 70 K.M की दूरी पर है और यहाँ से आप टैक्सी द्वारा पालमपुर आ सकते हैं।
उत्तराखंड
हिमाचल के बाद अब बारी है उत्तराखंड राज्य की। उत्तरप्रदेश से अलग होकर बना उत्तराखंड भी पर्वतीय राज्य है और अपने धार्मिक स्थलों तथा HILL STATIONS के लिए मशहूर है। यह राज्य भी पर्यटकों की पसंदीदा सूची का हिस्सा बना रहता है और विश्व भर से कई लोग यहाँ घूमने आते हैं। उत्तरखंड मुख्यतः 2 भागों में बंटा हुआ है-टिहरी और गढ़वाल। इसके कुछ हिल्स के बारे में चर्चा करते हैं:
1) नैनीताल
उत्तराखंड की कुमाऊँ रेंज के बीच स्थित नैनीताल को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उत्तरी भारत के लोगों के लिए ये एक सुगम पर्यटन स्थल है, जहाँ बीच में नैनी झील है और झील के एक तरफ माल रोड तथा दूसरी तरफ ठंडी सड़क है। ठण्ड के मौसम में यहाँ पर बर्फ़बारी भी होती है।
प्रमुख आकर्षण
नैनी झील, नैना देवी मंदिर, केव गार्डन
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग: अपनी गाडी के द्वारा आप यहाँ लगभग 6 घंटे में पहुँच सकते हैं। दिल्ली से नैनीताल के लिए बहुत सी AC/NON AC बसें भी चलती हैं जिनको आप अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते हैं।
रेल मार्ग: काठगोदाम स्टेशन यहाँ का सबसे नजदीकी स्टेशन है और यहाँ से लगभग 25 K.M दूर है। दिल्ली से काठगोदाम के लिए रोज़ाना कई सारी ट्रेन चलती हैं। काठगोदाम से आप बस या टैक्सी द्वारा यहाँ आ सकते हैं।
वायु मार्ग: पंत नगर एयरपोर्ट यहाँ से मात्र 70 K.M की दूरी पर है और यहाँ से आप टैक्सी या बस द्वारा नैनीताल आ सकते हैं।
2) भीमताल
समुद्र तल से लगभग 1370 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह जगह “पांडव भीम” के नाम पर आधारित है। ऐसा माना जाता है की झील के किनारे बने “भीमेश्वर महादेव मंदिर” का निर्माण, पांडव भीम ने अपने वनवास के समय किया था।
प्रमुख आकर्षण
भीमताल झील, भीमेश्वर महादेव मंदिर
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग: अपनी गाडी के द्वारा आप यहाँ लगभग 6 घंटे में पहुँच सकते हैं। दिल्ली से भीमताल के लिए बहुत सी AC/NON AC बसें भी चलती हैं जिनको आप अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते हैं।
रेल मार्ग: काठगोदाम स्टेशन यहाँ का सबसे नजदीकी स्टेशन है और यहाँ से लगभग 20 K.M दूर है। दिल्ली से काठगोदाम के लिए रोज़ाना कई सारी ट्रेन चलती हैं। काठगोदाम से आप बस या टैक्सी द्वारा यहाँ आ सकते हैं।
वायु मार्ग: पंत नगर एयरपोर्ट यहाँ से मात्र 55 K.M की दूरी पर है और यहाँ से आप टैक्सी या बस द्वारा भीमताल आ सकते हैं।
3) सात ताल
ओक के घने जंगलों के बीच स्थित यह जगह, पहाड़ी झीलों का एक समूह है। पक्षी प्रेमियों के लिए जगह स्वर्ग है क्योंकि यहाँ बहुत सारे पक्षी रहते हैं। यह जगह सात अलग-अलग झीलों का समूह है और इसी कारण इसको सात ताल कहा जाता है।
प्रमुख आकर्षण
सात ताल झील, ट्रैकिंग
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग: अपनी गाडी के द्वारा आप यहाँ लगभग 7 घंटे में पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग: काठगोदाम स्टेशन यहाँ का सबसे नजदीकी स्टेशन है और यहाँ से लगभग 30 K.M दूर है। दिल्ली से काठगोदाम के लिए रोज़ाना कई सारी ट्रेन चलती हैं। काठगोदाम से आप बस या टैक्सी द्वारा यहाँ आ सकते हैं।
वायु मार्ग: पंत नगर एयरपोर्ट यहाँ से मात्र 68 K.M की दूरी पर है और यहाँ से आप टैक्सी या बस द्वारा सात ताल आ सकते हैं।
4) नौकुचियाताल
“नौ कोनों की झील” के नाम से मशहूर यह छोटा मगर सुन्दर सा हिल स्टेशन, उत्तराखंड की कुमाऊँ रेंज में आता है। पर्यटक यहाँ पर नौका विहार एवं पक्षियों की विशाल संख्या का आनंद ले सकते हैं।
प्रमुख आकर्षण
नौकुचियाताल झील, हनुमान मंदिर
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग: अपनी गाडी के द्वारा आप यहाँ लगभग 6 घंटे में पहुँच सकते हैं। बस द्वारा नैनीताल आकर वहां से आप नौकुचियाताल के लिए टैक्सी ले सकते हैं।
रेल मार्ग: काठगोदाम स्टेशन यहाँ का सबसे नजदीकी स्टेशन है और यहाँ से लगभग 25 K.M दूर है। दिल्ली से काठगोदाम के लिए रोज़ाना कई सारी ट्रेन चलती हैं। काठगोदाम से आप बस या टैक्सी द्वारा यहाँ आ सकते हैं।
वायु मार्ग: पंत नगर एयरपोर्ट यहाँ से मात्र 63 K.M की दूरी पर है और यहाँ से आप टैक्सी या बस द्वारा नौकुचियाताल आ सकते हैं।
5) पंगूत
घने जंगलों के बीच बसा यह छोटा सा हिल स्टेशन, एक शांत और मनमोहक जगह है। यहाँ आप बर्ड वाचिंग, ट्रैकिंग और नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। यहाँ पर, पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां देखी जा सकती हैं।
प्रमुख आकर्षण
पक्षी प्रजातियां, ट्रैकिंग
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग: अपनी गाडी के द्वारा आप यहाँ लगभग 6.5 घंटे में पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग: काठगोदाम स्टेशन यहाँ का सबसे नजदीकी स्टेशन है और यहाँ से लगभग 52 K.M दूर है। दिल्ली से काठगोदाम के लिए रोज़ाना कई सारी ट्रेन चलती हैं। काठगोदाम से आप बस या टैक्सी द्वारा यहाँ आ सकते हैं।
वायु मार्ग: पंत नगर एयरपोर्ट यहाँ से मात्र 95 K.M की दूरी पर है और यहाँ से आप टैक्सी या बस द्वारा पंगूत आ सकते हैं।
तो अब इंतज़ार किस बात का? जल्दी से योजना बनाइये और तैयार हो जाइये इन सुन्दर जगहों की यात्रा के लिए। और हाँ, अगर आपको हमारा ये लेख पसंद आया हो तो कृपया इसको अपने मित्रों और सम्बन्धियों तक ही जरूर पहुंचाइएगा ताकि वो सब भी इन छुट्टियों में किसी बेहतर जगह का आनंद उठाने जा सकें।
DISCLAIMER/अस्वीकरण
इस लेख में दी गयी सभी जानकारी, लेखक के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उब्लब्ध जानकारी पर आधारित है। पाठकों से निवेदन है की किसी भी यात्रा पर निकलने से पहले, तत्कालीन स्थिति और मार्गों का जायजा स्वयं लें और उसके बाद ही आगे बढ़ें।