एकादशी : संक्षिप्त परिचय
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एक सामान्य वर्ष भर में 24 एकादशी आती हैं मतलब की हर महीने में 2 एकादशी| हर 3 वर्ष में एक मल मास का महीना बढ़ जाता है और इसीलिए उस वर्ष में 26 एकादशी आती हैं। एक एकादशी कृष्ण पक्ष में और एक एकादशी शुक्ल पक्ष में – ऐसे करके हर महीने में 2 एकादशियाँ आती हैं।एकादशी का व्रत भगवान “ श्री हरी विष्णु” की पूजा निमित्त रखा जाता है और वही इस व्रत के अधिष्ठाता देव हैं।
निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी का व्रत हर वर्ष, ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है।
सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी को अत्यंत कठोर व्रत मन जाता है क्योंकि इस व्रत में पानी भी नहीं पीना होता और ऊपर से ज्येष्ठ माह की गर्मी इस प्रण को और भी कठिन बना देती है।
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी या बड़ी एकादशी के नाम भी जाना जाता है। इस एकादशी का व्रत सब पापों का नाश करने वाला एवं सुख सौभाग्य का देने वाला होता है। ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से भगवान श्रीहरि विष्णु मनुष्य के जीवन से सभी कष्टों को दूर कर देते हैं।
निर्जला एकादशी 2024
इस वर्ष निर्जला एकादशी / भीमसेनी एकादशी का व्रत दिनांक 18 जून 2024, दिन मंगलवार को रखा जायेगा।
निर्जला एकादशी का महत्व/महातम्य
- एकादशी का व्रत, भगवान विष्णु को अति प्रिय एवं प्रसन्न करने वाला होता है।
- शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामना पूरी होती है।
- एकादशी का व्रत रखने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर सुखी जीवन भोगता है|
- एकादशी व्रत विधिवत करने से गृहस्थ जीवन में खुशहाली बनी रहती है|
- इस व्रत के करने से भगवन विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
निर्जला एकादशी पूजा विधि
- सर्वप्रथम तो प्रातः काल उठकर,दैनिक क्रियाकलापों से निवृत होकर स्नान करना चाहिए|
- तत्पश्चात भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर एकादशी का व्रत शुरू करें|
- अपने द्वारा जाने-अनजाने में किये गए सभी पापों के लिए, भगवान् से क्षमा प्रार्थना करें।
- अन्न और जल पर नियंत्रण के साथ साथ, अपनी इन्द्रियों और मन पर भी नियंत्रण बहुत आवश्यक है|
- इस दिन हाथ वाले पंखे पर खरबूजा रख कर दान दिया जाता है।
- इसके अलावा आज के दिन,पानी का प्याऊ लगाने का विशेष महत्व होता है।
- काम,क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार आदि से दूर रहें एवं निर्मल चित्त से भगवान का स्मरण करें|
- रात्रि को अगर संभव हो तो जमीन पर और भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने ही सोवें|
निर्जला एकादशी व्रत कथा
यह उस समय की बात है जब ऋषि वेदव्यास चरों पांडवों और द्रौपदी को एकादशी व्रत का संकल्प करवा रहे थे। और उन्होने पांडव भीम से यह संकल्प न करने का कारन पूछा। इसपर भीमसेन जी ने कहा की ऋषिवर आप तो जानते हैं की मैं बिना भोजन के नहीं रह सकता। एकादशी व्रत में तो पूरे दिन का उपवास रहता है और द्वादशी में अर्थात दूसरे दिन भी भगवन विष्णु की पूजा करने के बाद ब्रह्मण भोज करवाकर उसके बाद भोजन करने का प्रावधान है। परन्तु मैं तो एक वक़्त अन्न खाकर भी नहीं रह सकता तो पूरा दिन तो भूखा रहना असंभव है परन्तु हाँ, पूरे वर्ष में कोई एक दिन बिना भोजन के निकाल सकता हूँ।
ऐसे में, मैं आपसे विनती करता हूँ की कृपया कोई ऐसा व्रत या उपाय बताने की कृपा करे जिसके प्रभाव से मुझे सब एकादशियों का पुण्य प्राप्त हो जाये और मेरे सब पापों का नाश हो जाये।
इस पर वेदव्यास जी ने उनको कहा की नहीं तुम ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत करो। इसवरत में तुम्हे अन्न के साथ साथ जल का भी त्याग करना होगा इसलिए यह व्रत अन्य एकादशियों से कठिन है परन्तु इस एक व्रत के करने से तुमको सभी एकदशीयों का फल प्राप्त हो जायेगा।
येदव्यास जी के सुझाव पर उनकी अजय से पाण्डुपुत्र भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत पूर्णतः विधिपूर्वक किया और अगलेय दिन ब्रह्मण भोज करवाकर अन्न – जल ग्रहण किया। इसके प्रभाव से उनको सभी एकादशियों का फल प्राप्त हुआ और उनके सभी पापों का नाश हो कर स्वर्ग का मार्ग उनके लिए खुल गया।
विशेष उपाय
इस निर्जला एकादशी पर नीचे दिए गए विशेष उपाय को करने पर अत्यन्य शुभ फल प्राप्त होता है:
- पानी का घड़ा दान करना
- प्याऊ लगाना
- ब्राह्मणों को पंखा और फलों का दान