आस माता व्रत: माह एवं तिथि
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आस माता का व्रत फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकम/प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तिथि तक कभी भी किया जा सकता है|आप अपनी सुविधा अनुसार कोई भी दिन चुनकर इस व्रत को कर सकते हैं|
आस माई व्रत 2024
इस वर्ष अर्थात 2024 में, आस माता का यह व्रत 11 मार्च,2024 से लेकर 17 मार्च,2024 तक किसी भी दिन किया जा सकता है| वैसे अधिकतर लोग इसको चतुर्थी तिथि में करते हैं परन्तु यदि किसी कारणवश ऐसा संभव न हो तो आप लोग उपरोक्त किसी भी तिथि में इस व्रत का लाभ उठा सकतें हैं|
आस माता:पूजा एवं व्रत विधि
- सर्वप्रथम तो प्रातः काल उठकर,दैनिक क्रियाकलापों से निवृत होकर स्नान करना चाहिए|
- स्नान करने के बाद उजले एवं स्वच्छ वस्त्र पहनें|
- एक पटरी या चौकी पर पानी का कलश/लोटा पानी भरकर रख लेवें|
- ज्योत व धूप जलाकर, लोटे पर रोली की सहायता से स्वास्तिक/सतिया बनाएं|
- व्रत के दिन आस माता की कथा जरूर करें|
- कथा कहने के समय अपने हाथ में सात दाने गेंहू के रखें|
- कथा पूरी होने के बाद,बायना निकल कर होनी सास को दें|
- बायना में हलवा,पूरी और कुछ रूपए जरूर निकालें|
- बायना निकाल देने के बाद ही स्वयं भोजन पर बैठे|
आस माता व्रत महातम्य
यह व्रत संतान पक्ष की कुशलता एवं सफलता प्रदान करने वाला होता है| बालकों की रक्षा हेतु आस माता का व्रत किया जाता है एवं इस व्रत के फलस्वरूप आस माता से, बच्चों की लम्बी आयु और बेहतर स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है|
यह व्रत बहुत ही आसान है परन्तु दुर्लभ होने के कारण बहुत ही कम लोग इसके बारे में जानते हैं|आस माता का यह व्रत, बहुत ही मंगलकारक और शुभ फल देने वाला माना जाता है|
आस माता/आस माई व्रत कथा
बहुत समय पहले एक व्यक्ति हुआ करता था जिसका नाम था आसलिया|आसलिया एक जुआरी प्रवृति का आदमी था और रोज जुआ खेलता था| आसलिया की एक विशेष बात यह थी की वह जुआ खेलने के बाद अपने घर में पंडितों को भोजन करवाता था और इस नियम का जुए की हार – जीत से कोई सम्बन्ध नहीं था| दोनों ही परिस्थितियों में,आसलिया अपने घर में; नियम अनुसार ब्राह्मण भोज का आयोजन करता ही था|
एक तो जुए की गन्दी आदत और उस पर रोज का ब्रह्मण भोज, इन सब से आसलिया की भाभियाँ तंग हो चुकी थीं तो उन्होनें एक दिन आसलिया को अपने घर से निकाल दिया और बेचारा आसलिया, दर दर भटकने लगा| कई दिन भटकने के बाद वह एक नगर में पहुंचा और आस माता की पूजा करने लगा क्योंकि उसने कहीं सुना था की आस माता सब प्रकार से मंगल फल देने वाली हैं| साथ ही साथ उसने नगर में बात फैला दी की मैं बहुत बड़ा जुआरी हूँ और बहुत अच्छे से जुआ खेल सकता हूँ|
यह खबर फैलते-फैलते राजा के कानों तक भी पहुंची और उसने आसलिया को आजमाने के उद्देश्य से उसके साथ जुआ खेलना शुरू किया| लेकिन जुआ खेलते हुए राजा धीरे धीरे सब कुछ हार गया और अंत में अपना राज पाठ भी हारकर आसलिया को नगर का राजा बना दिया|
आसलिया अब नगर का राजा बनकर राज करने लगा और उधर उसके अपने घर में खाने के लाले पड़ गए| भोजन और काम की तलाश में उसके घर वाले भी उसी नगर में आ पहुंचे जहाँ आसलिया राज करता था| नगर की जनता से सुना की एक जुआरी जुए में राज पाठ जीत कर राजा बन गया है तो घरवालों के मन में राजा से मिलने की इच्छा हुई और दरबार में पहुंच गए|
आसलिया को देखकर उसके घर वाले बहुत ही लज्जित हुए और उस से माफ़ी मांगने लगे इस पर आसलिया ने कहा मैं आप लोगों की किसी बात से आहात नहीं हूँ| आपकी करनी आपके साथ,मेरी करनी मेरे साथ| मुझे तो ये जो भी प्राप्त हुआ है वो आस माता की कृपा से ही प्राप्त हुआ है|
आसलिया की बात सुनकर उसके परिवारजनों और अन्य लोगों ने भी आस माता का व्रत एवं पूजन किया और अपने कष्टों को दूर कर एक आराम का जीवन जीने लगे| हे आस माता! जैसा आसलिया को दिया वैसा ही सबको देना, हर कहने-सुनने-हुंकारा भरने वाले को देना।।
विशेष:इस कथा बल्कि हर व्रत कथा के बाद बिंदायक जी महाराज की कथा जरूर कहें|
बिंदायक जी की कथा:
बिंदायक जी की कथा पढ़ने के लिए इस लिंक में जाएं:https://hindipen.com/bindayak-ji-ki-katha/