बादशाह अकबर और मंत्री बीरबल
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मुगल बादशाह अकबर और उनके नवरत्नों में से एक बीरबल के किस्से तो विश्व विख्यात हैं। कहा जाता है की बीरबल जी का असली नाम ” महेश दास” था परन्तु बादशाह अकबर ने उनकी बुद्धिमानी से प्रसन्न होकर उनको “बीरबल” नाम दिया था जिसका अर्थ होता है- बलशाली बुद्धि। आज जानते हैं इनके एक और प्रसिद्ध किस्से के बारे में जिसको पढ़कर मज़ा भी आएगा और साथ ही साथ कुछ नया सीखने को भी मिलेगा।
चोर की दाढ़ी में तिनका
वैसे तो अकबर एक धनवान बादशाह थे और सोना,चांदी, हीरे, मोती आदि किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं थी परन्तु ये तो हम सब जानते हैं की कुछ चीज़ें ऐसी भी होती हैं जिनकी कीमत को रूपए पैसों में नहीं तोला जा सकता। बादशाह अकबर के पास भी ऐसी ही एक अंगूठी थी जो उनको बहुत ही ज्यादा प्रिय थी और बादशाह अकबर उसको बहुत संभाल के रखते थे।
अंगूठी का खो जाना
अब हुआ यूँ की एक दिन बादशाह की वह अंगूठी उनके हाथ में नहीं थी। यह देखकर बादशाह बहुत चिंतित हुए और अंगूठी को ढूंढने लगे। उन्होने अपने कमरे में, बिस्तर पर, बगीचे में, दरबार में सब जगह ढूंढा पर वही नहीं मिली और इस कारण अकबर और जयादा चिंतित तथा उदास हो गए।
बीरबल द्वारा तहकीकात:अंगूठी खोना या चोरी होना
अंत में बादशाह अकबर ने, बीरबल को बुलाया और उनको अपनी इस समस्या के बारे में बताया। बीरबल भी यह जानते थे की वह अंगूठी महाराज को बहुत ही प्रिय थी और इसलिए उन्होने बादशाह को अंगूठी ढूंढने का आश्वासन दिया।
फिर बीरबल ने बादशाह से पूछा “आपने वह अंगूठी, अंतिम बार कहाँ देखी थी ?”
“जब मैं नहाने जा रहा था, तब मैंने उसको अलमारी में रखा था परन्तु वापिस आकर मैने देखा की वह अंगूठी अलमारी में नहीं है।” बादशाह ने बीरबल को बताया।
यह सुनकर बीरबल ने कहा की महाराज इसका मतलब यह है की अंगूठी गुम नहीं हुई है बल्कि किसी ने उसको चुरा लिया है।
अंगूठी चोर की तलाश
इसके बाद बीरबल ने, बादशाह अकबर से पूछा की जब आपने वह अंगूठी निकाल कर अलमारी में रखी थी तो वहां पर कौन-कौन मौजूद था। इस पर बादशाह ने बताया की उस वक़्त कुछ नौकर कमरे में मौजूद थे जो अपना-अपना काम कर रहे थे और उन सब के नाम भी अकबर ने बीरबल को बताये।
इसके बाद बीरबल ने तुरंत उन सभी लोगों को, दरबार में हाज़िर होने का आदेश दिया।
दरबार में हाज़िर होने के बाद बीरबल ने उन सब से पूछताछ की परन्तु किसी ने भी चोरी वाली बात स्वीकार नहीं की और समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया।
बीरबल का सपना या बुद्धिमानी
रात को बीरबल ने एक योजना बनाई और महाराज को कहा की उनका अंगूठी चोर कल उनके सामने होगा।
अगले दिन, बीरबल ने उन सभी लोगों को फिर से दरबार में बुलाया। दरबार में सभी दरबारीगण और साथ ही बादशाह अकबर भी उपस्थित थे। अब बीरबल ने अपनी योजना के अनुसार सभी से कहा ” कल रात को मेरे सपने में एक परी आयी थी और उसने मुझे उस चोर की पहचान बताई है।” अपनी बात आगे बढ़ते हुए बीरबल ने आगे कहा ” परी ने कहा की महाराज की अंगूठी तुम लोगों में से ही किसी ने चुराई है और उसकी पहचान यह है की जिसने यह चोरी की है उसकी दाढ़ी में तिनका फंसा हुआ है।”
बीरबल के मुँह से तिनके वाली बात सुनकर, असली चोर घबरा गया और अपनी दाढ़ी में तिनका ढूंढने लगा जिसको देखकर बीरबल ने सिपाहियों को इशारा किया और उस चोर को पकड़ लिया।
बाद में उस चोर ने अपनी गलती स्वीकार की और बादशाह की वह अंगूठी उनको लौटा दी। बीरबल की बुद्धिमानी ने एक बार फिर बादशाह अकबर की नज़रों में बीरबल को सम्मानित किया और सभी दरबरियों ने भी बीरबल की बुद्धिमानी की बहुत तारीफ की।
चोर की दाढ़ी में तिनका:कहानी की शिक्षा
इस कहानी ने हम सीख सकते हैं की बुद्धि का सही उपयोग करके, मुश्किल समस्याओं को भी आसानी से सुलझाया जा सकता है।