बादशाह अकबर और मंत्री बीरबल
मुगल बादशाह अकबर और उनके नवरत्नों में से एक बीरबल के किस्से तो विश्व विख्यात हैं। बादशाह अकबर को बीरबल की बुद्धिमत्ता पर बहुत ही भरोसा था और अक्सर वह उनके हाजिर जवाब दिमाग को परखते रहते थे। कभी-कभी पहेलियों के बहाने तो कभी राजकाज की जटिल समस्याओं के निवारण में,बीरबल ने हमेशा अपनी हाजिर जवाबी सिद्ध करके, बादशाह की नजरों में विशेष स्थान प्राप्त किया हुआ था।
बीरबल की खिचड़ी: कहानी
ठंड का मौसम चल रहा था और हल्की-हल्की धूप के समय बगीचे में घूमते हुए महाराज बादशाह अकबर और बीरबल राजकाज की बात कर रहे थे।अचानक से अकबर ने कहा- “बीरबल ठंड बहुत बढ़ गई है ऐसे में महल से बाहर निकलने को बिल्कुल जी नहीं चाहता।पता नहीं लोग इतनी ठंड में भी काम कैसे कर लेते हैं, बहुत ही अचरज की बात है।”
बादशाह अकबर की यह बात सुनकर बीरबल ने कहा कि महाराज जिसको काम की आवश्यकता होती है उसको ठंड और गर्मी से फर्क नहीं पड़ता, उसको तो काम करना ही है भले कितनी भी सर्दी हो या कितनी भी गर्मी हो।
बादशाह अकबर की चुनौती
बीरबल की इस बात पर अपनी असहमति जताते हुए बादशाह अकबर ने कहा कि बीरबल यदि ऐसी बात है तो मैं चुनौती देता हूं कि अगर कोई व्यक्ति दूर बने उसे तालाब में पूरी रात खड़ा रहे तो मैं सुबह उसको सौ सोने की मोहरें ईनाम में दूंगा।
बीरबल द्वारा चुनौती को स्वीकारना
बादशाह अकबर की बात सुनकर बीरबल ने कहा कि जहांपनाह मैं जल्द ही किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढ कर आपके सामने पेश करूंगा जो इस भरी सर्दी में पूरी रात उस तालाब में खड़ा रहेगा।
2 दिन बाद बीरबल एक गरीब आदमी को लेकर दरबार में हाजिर हुए और बादशाह अकबर से कहने लगे “महाराज आपकी दी हुई चुनौती के अनुसार मैं यह व्यक्ति ढूंढ कर लाया हूं और इसका कहना है कि यह सौ मोहरों के लिए पूरी रात तालाब में खड़ा रह सकता है।”
तालाब में गरीब व्यक्ति की परीक्षा
बादशाह अकबर ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वह उसे गरीब व्यक्ति पर निगरानी रखें और अगर वह सूर्य उदय होने से पहले तालाब से बाहर आए तो सूचित करें।
रात के समय बीरबल,वह गरीब व्यक्ति और बादशाह के सैनिक तालाब में पहुंचे और उस व्यक्ति की परीक्षा शुरू हो गई।वह तालाब में जाकर खड़ा हो गया और सूर्योदय होने तक तालाब में ही रहा।
सूर्योदय होने के बाद बीरबल ने उसे व्यक्ति को पुनः दरबार में पेश किया और बादशाह अकबर से उस व्यक्ति को सोने की मोहरें इनाम में देने की सिफारिश की।
बादशाह अकबर का शक
उसे व्यक्ति को देखकर अकबर ने अपने सिपाहियों से पूछा की क्या यह पूरी रात पानी में खड़ा रहा था? सवाल के जवाब में सिपाहियों ने सहमति में अपना सिर हिलाया।
बादशाह के मन में अभी भी शंका थी तो उन्होंने उस गरीब व्यक्ति से पूछा कि तुमने इतनी ठंड में पूरी रात पानी के अंदर कैसे बिताई?
दीपक का प्रकाश और गर्माहट
बादशाह अकबर का यह सवाल सुनकर उसे गरीब व्यक्ति ने कहा कि महाराज ठंड बहुत थी और पानी में खड़े होना बहुत मुश्किल हो रहा था।
मुझे लग रहा था कि शायद मैं पूरी रात पानी में खड़ा नहीं रह पाऊंगा लेकिन तभी मुझे आपके महल की खिड़की पर जलता हुआ दिया दिखाई दिया।मेरा ध्यान उस दीपक की ओर चला गया और उसके प्रकाश ने मुझे हिम्मत दी इस तरह ठंड से भरी रात को मैंने पानी में खड़े रहकर निकाल दिया।
बादशाह अकबर की असहमति
गरीब व्यक्ति के मुंह से दीपक की बात सुनकर बादशाह अकबर ने कहा कि यह तो धोखा है।मेरे महल के उस दीपक ने आपको गर्मी पहुंचाई जिसके कारण आपको सर्दी का एहसास नहीं हुआ जबकि हमारी बात तो पानी में खड़े रहने की हुई थी वह भी भरी ठंड की रात में बिना किसी आग या अंगीठी के।
अतः मेरी शर्त को तुमने पूरी तरह से नहीं निभाया है और इसलिए तुम्हें कोई ईनाम नहीं दिया जाएगा। बेचारा गरीब आदमी बहुत दुखी हुआ लेकिन बादशाह अकबर के सामने क्या बोल सकता था इसलिए चुपचाप चला गया।
बीरबल ने भी यह सब देखा और सुना मगर उस वक्त कुछ नहीं बोला और सही समय आने पर इस बात का जवाब देने के लिए मन में ठान ली।
बीरबल का खिचड़ी पकाना
अगले दिन बीरबल दरबार में नहीं आया और संयोग से कोई पेचीदा मसाला अकबर के सामने आकर खड़ा हो गया। बादशाह अकबर ने सैनिकों से कहा कि तुरंत बीरबल को दरबार में हाजिर होने के लिए कहो, वही इस मसले को हल कर सकते हैं।
सैनिकों ने बादशाह का संदेश बीरबल के घर जाकर बीरबल को सुनाया।बीरबल ने कहा कि अभी थोड़ी देर में आता हूं बादशाह से कहो प्रतीक्षा करें।सिपाहियों ने महल जाकर सारी बात अकबर को बताई।
कुछ समय बीत जाने के बाद बादशाह ने दोबारा सिपाहियों को बीरबल के घर भेजा और इस बार फिर बीरबल ने सिपाहियों को वापस लौटा दिया कि मैं खिचड़ी बनाकर आऊंगा।
कुछ समय और बीत गया मगर बीरबल दरबार में नहीं आए तो इस बार बादशाह अकबर खुद बीरबल के घर की ओर रवाना हो गए। बीरबल के घर पहुंच कर बादशाह ने जो दृश्य देखा उसे देखकर उन्हें क्रोध भी आया साथ ही साथ हंसी भी आई।
बादशाह ने देखा कि बीरबल ने जमीन पर चूल्हा जलाकर पेड़ की ऊंची डाली पर हांडी में खिचड़ी पकाने के लिए रखी हुई है।आग और हांडी के बीच दूरी इतनी ज्यादा थी की खिचड़ी का पकना नामुमकिन था।यह देखकर बादशाह अकबर ने बीरबल से इसका कारण पूछा।
बीरबल ने कहा कि जहांपनाह इसकी प्रेरणा मैंने आपके दरबार से ही ली है।आपने ही उसे गरीब व्यक्ति को कहा था कि वह मीलों दूर खड़े होकर भी आपके महल के छोटे से दिए से गर्माहट पा रहा था तो मैंने सोचा कि यह तो सिर्फ कुछ हाथ की ही दूरी है। मगर देखिए मैं सुबह से लगा हुआ हूं और शाम होने को आई है पर अब भी खिचड़ी गलने का नाम ही नहीं ले रही।
बादशाह को हुआ गलती का एहसास
बीरबल द्वारा यह बात कहने के बाद बादशाह अकबर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने बीरबल से माफी मांगते हुए कहा कि उन्हें बीरबल का यह नाटक समझ में आ गया है।
बादशाह में उसे गरीब व्यक्ति को दोबारा अपने महल में बुलाया और अपनी शर्त के अनुसार उसको सोने की मोहरें इनाम में देकर विदा किया।
बीरबल की खिचड़ी कहानी की शिक्षा
बीरबल की खिचड़ी की कहानी वैसे तो एक हास्य प्रसंग है मगर इससे हमें यह शिक्षा भी मिलती है कि किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए प्रयासों को जाने बगैर उनका मजाक नहीं बनाना चाहिए।अपने विवेक का प्रयोग कर हमें उसे व्यक्ति के हालात और प्रयासों को समझने का प्रयत्न करना चाहिए।