धीरे-धीरे रे मना,धीरे सब कुछ होय।माली सींचे सौ घड़ा,ऋतु आए फल होय।।
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नमस्कार मित्रों, ऊपर लिखा हुआ दोहा पढ़कर आपको आभास तो हो ही गया होगा कि आज का यह लेख किस बारे में है। आज के इस लेख में हम, अपने जीवन में इंतजार/सब्र/सबुरी/धैर्य के महत्व के बारे में बात करेंगे।
धैर्य बनाम आधुनिक समय
आज के इस आधुनिक और भागदौड़ भरे जीवन में हमको हर चीज को जल्दी-जल्दी करने की आदत हो गई है और पीढ़ी दर पीढ़ी सब्र करने का पैमाना छोटा होता जा रहा है। और हो भी क्यों ना जब से इंटरनेट आया है हर चीज तुरंत हो जाती है।
इंटरनेट के आने के बाद से, ऑनलाइन सामान मंगवाना हो, कोई टिकट बुक करनी हो, बिजली पानी का बिल भरना हो या अन्य कोई और काम हो; तुरंत ही हम कोई भी जानकारी सेकंडों में हासिल कर लेते हैं। और इसी वजह से सब्र करने की हमारी आदत खत्म होती जा रही है।
सब्र या धैर्य क्यों जरूरी है
आप में से कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर सब्र करने की क्या आवश्यकता है और सब्र करना ही क्यों है जब सब कुछ तुरंत हो सकता है।
इसी सवाल का जवाब जानने के लिए एक छोटी सी कहानी आपकी मदद करेगी।
विद्यार्थी और अध्यापक की कहानी
यह कहानी है एक छोटे बच्चे भोला कि जिसने अभी-अभी स्कूल जाना शुरू किया है। आजकल के बच्चों की तरह उसके घर में भी मोबाइल है और वह भी देखा है कि उसके माता-पिता हर काम मोबाइल की सहायता से तुरंत कर देते हैं और उसे भी अब हर काम तुरंत करने की आदत है।
भोले का दाखिला पहली कक्षा में हुआ है और मास्टर जी आज उसको 1 से 10 तक गिनती सिखा रहे हैं। तभी भोला को दूसरी कक्षा से 1 से 50 तक गिनती की आवाज आई और बड़ी कक्षाओं से तो पहाड़े याद करने की आवाज भी आ रही थी।
हर चीज जल्दी कर लेने की आदत से ग्रस्त भोले ने मास्टर जी से कहा की मुझे भी पहाड़े सीखने हैं। मुझे गिनती सीखने में अपना समय बर्बाद नहीं करना आप मुझे सीधा पहाड़े सिखाओ। मास्टर जी ने भोला को समझाना चाहा लेकिन भोला अपनी जिद पर अड़ गया तो मास्टर जी ने कहा कि कल सिखाएंगे।
अगले दिन मास्टर जी ने सीधा उसको पहाड़े सीखाने शुरू किए लेकिन जैसा कि हम सब जानते हैं गिनती का शुरुआती ज्ञान लिए बिना पहाड़े सीखना लगभग असंभव सी बात है और वही भोले के साथ भी हुआ।
अब मास्टर जी ने एक शिक्षक का फर्ज निभाते हुए भोला को प्यार से समझाया की हर चीज का एक सही समय होता है और अभी तुम्हारा समय गिनती सीखने का है। जब तुम बड़े हो जाओगे और बड़ी कक्षा में जाओगे तो तुम्हें गणित का और जटिल ज्ञान भी प्राप्त हो जाएगा परंतु उसके लिए तुम्हें थोड़ा सब्र और परिश्रम करना पड़ेगा।
सब्र न करने का परिणाम
आजकल व्यक्ति हर चीज को, चाहे कोई पद हो या रुतबा, पैसा,शान-शौकत जल्दी से जल्दी पा लेना चाहता है। इसके लिए है वह अपने काबिलियत बढ़ाने की बजाय दूसरे गलत रास्तों का भी सहारा लेता है।
लेकिन यह तो सभी जानते हैं कि बिना काबिलियत के कुछ नहीं मिलता और इसी कारण जब हम जल्दबाजी में कुछ पाने में असमर्थ रहते हैं तो हमारे मन में ईर्ष्या और दूसरों के प्रति जलन की भावना उत्पन्न होती है। दूसरों से अपनी तुलना करने में हम यह भूल जाते हैं कि हमारे पास जो है वह भी बहुत लोगों के पास नहीं है और अपने पास उपलब्ध संसाधनों का आनंद लेने की बजाय दूसरे के संसाधनों को देख-देखकर मन ही मन दुखी होते रहते हैं।
हमें यह बात समझ लेनी है की हर चीज का एक नियत समय है और वह अपने नियत समय पर हमारे पास आएगी परंतु हमें उसके लिए अपनी काबिलियत को बढ़ाना होगा। अंग्रेजी भाषा में भी इसके लिए एक मशहूर कहावत है “sharpening the saw”. इसका मतलब है कि हमें अपने शारीरिक और बौद्धिक विकास के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए ताकि जब भी हमें कोई अवसर मिले, तो हम पूर्ण रूप से उसके लिए तैयार हों।
हमारे विचार
इस लेख के अंत में, लेखक सिर्फ यही कहना चाहता है कि सब्र करने से हमें आंतरिक शांति मिलती है। और यह तो सभी जानते हैं कि एक शांत दिमाग बेहतर ढंग से कार्य कर सकता है और हमें अपने लक्ष्य के नजदीक पहुंचा सकता है। इसलिए हमें हमेशा अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करके उसे तक पहुंचने के लिए अपनी काबिलियत को बढ़ाना चाहिए क्योंकि बिना काबिलियत के, जल्दबाजी कोई भी सकारात्मक परिणाम नहीं दे सकती।