एकता का महत्व – एक प्रेरक कहानी
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ये कहानी है एक छोटे से गांव की जहाँ पर एक बहुत ही मेहनती किसान अपने परिवार के साथ रहा करता था। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में किसान की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी और अक्सर उसके घर में पैसों की तंगी रहा करती थी मगर अपनी लगन और कड़ी मेहनत से उसने अपनी खेती का बहुत विकास किया और धीरे धीरे तरक्की की सीढियाँ चढ़ते हुए,आज वह गांव के सफल और आर्थिक किसानों में गिना जाने लगा है।
किसान का परिवार
किसान के परिवार में उसकी पत्नी और उसके 4 बेटे शामिल थे। किसान की तरह ही उसके चारों बेटे भी मेहनती थे और जो भी काम करते थे बड़ी ही लगन से करते थे। किसान इस बात से बहुत ही खुश था परन्तु एक बात थी जिसके बारे में सोच सोच कर किसान अक्सर परेशान रहता था और वह था उसके बेटों में आपस में एकता न होना। किसान के चारों बेटे आपस में लड़ते रहते थे और कभी भी किसी भी काम में एक दूसरे की मदद नहीं करते थे।
किसान का बीमार होना
समय धीरे धीरे बीत रहा था और किसान अब बूढा हो चला था। अब उसको अपने बच्चों की चिंता रहने लगी थी और इसी चिंता के कारन वह एक बार गंभीर रूप से बीमार हो गया। किसान को अब अपने ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं थी और अब वह सिर्फ यह चाहता था की वह अपने बच्चों को किसी तरह से एक साथ मिल-जुल कर रहना सीखा सके ताकि किसान के इस दुनिया से चले जाने के बाद, वह चारों भाई आपस में एक दूसरे का सहारा बन सकें और एक दूसरे की मदद करते रहे।
किसान की तरकीब
एक दिन किसान को तक युक्ति सूझी। उसने अपने चारों बेटों को अपने पास बुलाया और उन सबको एक एक सूखी हुई पतली सी लकड़ी देते हुए कहा की जो और कल सुबह इसको तोड़ कर ले आना। किसान के बच्चों को पहले तो बड़ा ही आश्चर्य हुआ परन्तु अपने पिता की तबियत का ख्याल करते हुए उन्होने कोई सवाल जवाब नहीं किया और लकड़ी लेकर अपने अपने काम पर चले गए।
अगले दिन सुबह सुबह चारों बेटे उस दी हुई लकड़ी के टुकड़े करके ले आये और उनको अपने पिता को देते हुए कहा की पिताजी ये तो बहुत ही आसान काम था। इस कमजोर सी लकड़ी को तो कोई भी आराम से तोड़ सकता है। बच्चों की बात सुनकर किसान ने कुछ नहीं कहा और बस मुस्कुरा दिया।
बच्चों की परीक्षा – लकड़ियों का गट्ठर
किसान ने अब वो टूटी हुई लकड़ियां फेंक दी और वैसी ही सूखी हुई लकड़ियों का एक बड़ा सा गट्ठर लेकर अपने बेटों के सामने रख दिया। किसान ने उन सबको कहा की अगर तुमने वो लकड़ी तोड़ दी है तो इनको भी तोड़ दो और देखो ये तो और भी जयदा पतली हैं तो इसे आप और आराम से तोड़ सकते हो। लेकिन शर्त यही है की लकड़ी का गट्ठर खोलना नहीं है और इन सबको एक साथ ही तोडना है। मैं तुमसे कल सुबह फिर मिलूंगा अब तुम अपने अपने काम पर जा सकते हो।
गट्ठर की लकड़ियों का न टूटना
किसान की बात को ध्यान में रखते हुए, चारों बच्चों ने उस बिना उस गट्ठर को खोले, गट्ठर की लकड़ियों को तोड़ने की कोशिश की। पर सबके भरपूर जोर लगाने के बाद भी कोई उस गट्ठर की लकड़ियों को तोड़ नहीं सका। किसान के बेटों को अब समझ नहीं आ रहा था की कल तक जो लकड़ी एक बार में ही आसानी से टूट गयी थी आज उसको क्या हो गया है जो इतना जोर लगाने के बाद भी टूट नहीं रही है।
संगठन की शक्ति – किसान की सीख
अगली सुबह जब किसान ने उनको बुलाया और पूछा की उस गट्ठर का क्या हुआ? तो चारों बेटे एक साथ बोल पड़े की पिताजी वो गट्ठर तो हम में से कोई भी नहीं तोड़ पाया। हम सबने बहुत कोशिश की पर जो लकड़ी परसों बड़े ही आराम से टूट गयी थी कल तो वह भरपूर ताकत लगाने के बाद भी नहीं टूटी। हम समझ नहीं पा रहे हैं की इस लकडी में ऐसा क्या है जो ये टूट नहीं रही है।
इस पर किसान ने उनको समझाया की ये इस लकड़ी की मजबूती नहीं है बल्कि इस गट्ठर की मजबूती है। जब तक ये लकड़ियां अलग अलग थी, तुम लोग इसको आराम से तोड़ पाए परन्तु अब जब यही लकड़ियां एक साथ संगठन में हैं तो तुम अपनी पूरी ताकत लगाने के बाद भी इसको नहीं तोड़ पाए।
किसान के बेटों को अब साडी बा समझ आ गयी थी की उनके पिता इस तरकीब से क्या दिखाना चाह रहे थे। उन्होने अपने पिता से माफ़ी मांगी और कहा अब हम समझ गए हैं की साथ रहने से हमारी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है और इसलिए हम आज से कभी भी लड़ाई झगड़ा नहीं करेंगे और चारों भाई एक साथ मिलकर रहेंगे।
कहानी की शिक्षा
यह कहानी हमें एकता के महत्व के बारे में सिखाती है की एकता में बल होता है और संगठन बना कर रहने से हम मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति का भी डट कर सामना कर सकते हैं। इसलिए हम सबको चाहिए की लड़ाई झगड़ा न करें और आपस में मिल जुल कर रहें।
वर्तमान संदर्भ
वर्तमान संदर्भों के परिपेक्ष में, हम इस कहानी से सीख लेकर अपने आस पास, पड़ोस और कार्यालय अदि में एकजुट होकर अपनी दैनिक जीवन की कठिनाइयों को आसानी से सुलझा सकते हैं और एक दूसरे की मदद करके समाज में एक सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण कर सकते हैं।
हमारे विचार
इस कहानी से प्रेरित होकर, हम सब भी यह समझने का प्रयास करें की एक दूसरे से लड़ाई करने से कोई दुविधा हल नहीं होती। अगर हम एक दूसरे के साथ मिल कर रहेंगे तो यह हमारे सम्पूर्ण समाज के लिए अच्छा रहेगा और साथ ही साथ हम आने वाली पीढ़ियों को भी एकता का महत्व समझा सकेंगे।