सूर्यग्रहण 2024
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चैत्र अमावस्या के दिन यह दुर्लभ पूर्ण सूर्यग्रहण, इस साल 8 अप्रैल 2024 को लगने जा रहा है| विश्व भर के खगोलशास्त्रियों और ज्योतिषियों के साथ साथ अन्य खगोलप्रेमियों के लिए भी यह अद्भुत घटना, एक रोमांच का विषय बनी हुई है। आखिर क्यों है ये सूर्यग्रहण इतना ख़ास, आइये जानते हैं और साथ ही जानेंगे की कब और कहाँ पर लोग इस घटना को देख सकेंगे:-
सूर्यग्रहण क्या होता है? What is solar eclipse?
यह तो सभी जानते हैं की हमारे इस ब्रह्मण्ड का विस्तार तो अनंत है और इस अनंत ब्रह्माण्ड में आये दिन कोई न कोई खगोलीय घटना होती ही रहती है। इन विभिन्न घटनाओं में एक है सूर्य ग्रहण जो की मानव इतिहास में विशिष्ट खगोलीय घटना का स्थान रखती है।
दिन का वह समय जब सूर्य के प्रकाश और हमारी पृथ्वी/धरती के बीच में चन्द्रमा आ जाता है-सूर्य ग्रहण कहलाता है। चन्द्रमा के यूँ बीच में आ जाने के कारण चन्द्रमा की परछाई पृथ्वी पर पड़ती है और दिन में लगभग रात की तरह ही अँधेरा छा जाता है।
सूर्य ग्रहण के प्रकार
पृथ्वी और सूर्य के बीच में चन्द्रमा के आने के कारण हुई घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है परन्तु ये सूर्यग्रहण हर बार एक ही तरह का नहीं होता। चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य की आकाश में पारस्परिक स्तिथि के अनुसार सूर्यग्रहण 3 प्रकार से लगता है:
1)पूर्ण सूर्यग्रहण
पूर्ण सूर्यग्रहण से अभिप्राय है वो ग्रहण जिसमें चन्द्रमा, सूर्य से आने वाले सम्पूर्ण प्रकाश को रोक देता है एवं जिस जगह पर ये सूर्यग्रहण लगा होता है वहां कुछ समय के लिए पूरी तरह अँधेरा हो जाता है। इसको “TOTAL SOLAR ECLIPSE” भी कहा जाता है।
2)आंशिक सूर्यग्रहण
जैसा की नाम से पता चल रहा है, यह सूर्यग्रहण आंशिक या कहिये अधूरा सा होता है। इसमें चन्द्रमा, सूर्य से आने वाले सम्पूर्ण प्रकाश को न रोक कर केवल कुछ प्रकाश को ही रोकता है जिसके कारण आकाश में सूर्य हमें गोल न दिखाई देकर,अर्धचन्द्राकार रूप में दिखाई देता है।
3)वलयाकार सूर्यग्रहण
सामान्य भाषा में वलय का अर्थ होता है एक छल्ला या अंगूठी। वलयाकार सूर्यग्रहण भी लगभग ऐसा ही होता है जिसमे चन्द्रमा सूर्य को बीच से ढक देता है और सूर्य के बाहरी किनारों से प्रकाश हम तक पहुँचता है। ऐसे में धरती से देखने पर, सूर्य एक जलते हुए छल्ले के समान प्रतीत होता है और इसी को “RING OF FIRE” के नाम से भी जाना जाता है।
दुर्लभ क्यों है यह सूर्यग्रहण?
जहाँ तक सूर्यग्रहण की बात है तो यहाँ पर आपका यह जानना जरुरी है की सूर्यग्रहण लगभग 1.5 साल/18 महीने में, धरती के किसी न किसी हिस्से में घटित होता ही रहता है मगर यह सूर्यग्रहण सामान्य न होकर कुछ ख़ास है और इसके खास होने के पीछे कई कारण हैं जिनको आइये आगे जानते हैं:
1)पूर्ण ग्रहण दोहराये जाने की लम्बी अवधी
वैसे तो लगभग हर 1.5 साल में कहीं न कहीं सूर्यग्रहण आता ही रहता है परन्तु किसी एक ही जगह पर पूर्ण सूर्यग्रहण दोबारा आने में लगभग कई 100 वर्षों का समय लग जाता है और इसका मतलब है की एक व्यक्ति अपने जीवन काल में एक जगह से केवल एक बार ही इस घटना का साक्षी बन सकता है।
2)126 वर्षों का इंतज़ार
8 अप्रैल,2024 को आने वाला पूर्ण सूर्यग्रहण अपने आप में अद्भुत है क्योंकि ऐसा ग्रहण दोबारा लगभग 126 सालों के बाद देखने को मिलेगा और इसका मतलब है की ये “once in a lifetime opportunity“ है जिसको हम दोबारा कभी नहीं देख पाएंगे.
3)लम्बी पूर्ण ग्रहण अवधी
इस ग्रहण में पूर्ण ग्रहण अवधी लगभग 7.5 मिनट होगी जो अपने आप में दुर्लभ है क्योंकि इतना लम्बा सूर्यग्रहण, वर्ष 2150 तक प्रशांत महासागर क्षेत्र में दोबारा नहीं आएगा।
यहाँ दिखाई देगा 2024 पूर्ण सूर्यग्रहण
यह दुर्लभ सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा हालाँकि उत्तरी अमेरिका, कनाडा, अमेरिका और मेक्सिको के निवासी इस सूर्यग्रहण का अनुभव कर सकेंगे। लगभग 3,20,00,000 लोग इस अद्भुत नज़ारे के गवाह बनेंगे।
ग्रहण से एक दिन पहले, चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीकी बिंदु अर्थात 3,60,000 km से होकर गुजरेगा और इसीलिए अपने सामान्य आकर से बड़ा दिखाई देगा|
यह होगा ग्रहण का समय
भारत में यह ग्रहण लागू नहीं होगा हालाँकि भारतीय समय के हिसाब से यह 8 अप्रैल रात 9:12 से 8 अप्रैल रात 2:22 तक उत्तरी अमेरिका, कनाडा, अमेरिका और मेक्सिको आदि जगहों पर दिखाई देगा।
समय के बारे में और अधिक विस्तृत जानकरी के लिए यहाँ जाएं: https://www.timeanddate.com/eclipse/solar/2024-april-8
सूर्य ग्रहण:रोमांच और आंखों की सुरक्षा
सूर्य ग्रहण को देखना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव है और शायद ही कोई व्यक्ति हो जो इस अनुभव का एहसास करने का इच्छुक न हो। परन्तु रोमांच के साथ साथ सुरक्षा सम्बन्धी दिशा-निर्देशों का पालन बहुत आवश्यक है वरना क्षण भर का यह रोमांचक अनुभव, एक लम्बे समय का दर्द भी दे सकता है।
जब भी सूर्यग्रहण को देखने की बात आती है तो अपने साथ सुरक्षा का ख्याल भी हमारे दिमाग में ले आती है। वैज्ञानिकों की माने तो हमें कभी भी सूर्यग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए क्योंकि ऐसा करना हमारे लिए घातक सिद्ध हो सकता है। कैमरा के लेंस या टेलिस्कोप के लेंस से भी सूर्यग्रहण को नहीं देखना चाहिए क्योंकि ऐसे में भी सूर्य की तेज़ रौशनी, सीधा हमारी आँखों में प्रवेश कर के हमें नेत्र रोगों का शिकार बना सकती है।
अब आप कहेंगे की जब सूर्यग्रहण देखना ही नहीं है तो यह पढ़ने का क्या फायदा?
आपकी जानकरी के लिए बताना चाहेंगे की सूर्य ग्रहण देखने के लिए विशेष प्रकार के ग्रहण के चश्मे ‘ECLIPSE GLASSES’ बाजार में उपलब्ध हैं जिनकी मदद से आप सूर्यग्रहण का लुत्फ़, बिना किसी चिंता-फ़िक्र के उठा सकते हैं। इसके लिए एक विशेष प्रकार के ‘PINHOLE PROJECTOR’ की भी सहायता ली जा सकती है।
तो आप सबसे अनुरोध है की कृपया “safety first” पर ध्यान दें और उसके बाद ही इस रोमांचकारी अनुभव के साक्षी बनें।