Paragliding Capital of India के नाम से मशहूर यह जगह हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में है। रोमांचक खेलों के साथ-साथ,बीर आध्यात्म और साधना का केंद्र भी है और यहाँ कई बौद्ध विहार बने हुए हैं।
हिमालय पहाड़ों की धौलाधार रेंज के बीच बसा हुआ धर्मशाला एक पहाड़ी क़स्बा है और हिमाचल की शीतकालीन राजधानी के रूप में जाना जाता है। शांत व शीतल वातावरण के अलावा थांगका पेंटिंग्स, बौद्ध विहार एवं संग्रहालय यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं।
हिमाचल के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक मक्लिओडगंज - अपनी तिब्बती संस्कृति, प्राकृतिक हरियाली, ट्रैकिंग, प्राचीन मंदिर और ब्रिटिश प्रभाव के लिए मशहूर है। मक्लिओडगंज को "Little Lhasa" के नाम से भी जाना जाता है।
चाय के आकर्षक हरे-भरे बागानों और चीड़-देवदार के शांत घने जंगलों के बीच बसा हुआ पालमपुर, उत्तरी भारत की "चाय-राजधानी" के रूप में भी मशहूर है और अपने सुन्दर hilly treks के लिए पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है।
काँगड़ा घाटी में स्थित जोगिन्दर नगर, शांत और आरामदायक छुट्टिओं के लिए पर्यटकों पहली पसंद है। इसके अलावा अगर आप चाहें तो ट्रैकिंग, स्थानीय बाजार और प्राचीन मंदिरों में भी दर्शन का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
उत्तराखंड की कुमाऊँ रेंज के बीच स्थित नैनीताल को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उत्तरी भारत के लोगों के लिए ये एक सुगम पर्यटन स्थल है, जहाँ बीच में नैनी झील है और झील के एक तरफ माल रोड तथा दूसरी तरफ ठंडी सड़क है।
समुद्र तल से लगभग 1370 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह जगह "पांडव भीम" के नाम पर आधारित है। ऐसा माना जाता है की झील के किनारे बने "भीमेश्वर महादेव मंदिर" का निर्माण, पांडव भीम ने अपने वनवास के समय किया था।
ओक के घने जंगलों के बीच स्थित यह जगह, पहाड़ी झीलों का एक समूह है। पक्षी प्रेमियों के लिए जगह स्वर है क्योंकि यहाँ बहुत सारे पक्षी रहते हैं। यह जगह सात अलग-अलग झीलों का समूह है और इसी कारण इसको सात ताल कहा जाता है।
"नौ कोनों की झील" के नाम से मशहूर यह छोटा मगर सुन्दर हिल स्टेशन, उत्तराखंड की कुमाऊँ रेंज में आता है। पर्यटक यहाँ पर नौका विहार एवं पक्षियों की विशाल संख्या का आनंद ले सकते हैं।
घने जंगलों के बीच बसा यह छोटा सा हिल स्टेशन, एक शांत और मनमोहक जगह है। यहाँ आप बर्ड वाचिंग, ट्रैकिंग और नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। यहाँ पर, पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां देखी जा सकती हैं।